प्रिय अभिभावक गण, मित्रगण, शुभचिंतक बंधु एवं हमारे देश का भविष्य हमारे विद्यार्थीगण।
1995 में हमारी संस्थापिका परम् आदरणीय मां श्रीमती जसकौर मीणा जी के अथक प्रयासों से, मात्र 5 बालिकाओं के साथ मंदिर के प्रांगण में प्रारंभ हुआ हमारा ग्रामीण महिला विद्यापीठ आज अपने 25 वें वर्ष में प्रवेश कर चुका है। 5 बालिकाओं व दो शिक्षिकाओं के साथ प्रारंभ हुई यह यात्रा आज पांच संस्थाओं के साथ शिक्षा के विभिन्न सोपानों को पार करती हुई ,आपके सहयोग से क्षेत्र में बालिका शिक्षा के प्रचार-प्रसार द्वारा बालिकाओं को भविष्य में श्रेष्ठतम अवसर प्रदान करने के लिए वचनबद्ध है। विगत 25 वर्षों की यात्रा अभी लक्ष्य पर पहुंच गई हो, ऐसा नहीं है ।दिन प्रतिदिन हम स्वयं को परखते हैं, नित नवीन उत्साह के साथ हम आगे की यात्रा की तैयारी करते हैं। हम नए विचार, नवाचार सीखते हैं ताकि अपनी संस्था में प्रवेश लेने वाली हर बालिका को नई ऊंचाइयां छूने के लिए प्रेरित कर सकें, उसे नित नवीन सिखा सकें। भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों का पालन करते हुए हमारी बालिकाएं अपनी सोच को विश्वव्यापी बना सकें, उनकी वैचारिक शक्ति को धार लग सके, यही हमारा उद्देश्य है और यही संभवतः शिक्षा का मूलभूत अर्थ भी है। ज्ञान तब फलीभूत होता है जब वह ज्ञान पर्याप्त करने वाले में विश्लेषणात्मक शक्ति पैदा कर सके। सद् विचार, सद् मूल्यों पर आधारित सोच के साथ सकारात्मक विश्लेषण विश्व में आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है और यह शक्ति उत्पन्न करने का सबसे स्रोत स्कूल शिक्षा ही है।
हमारी बालिकाओं ने संस्था से शिक्षा ग्रहण कर विभिन्न पदों को सुशोभित किया है। अनेकानेक बार संस्था और अपने शिक्षकों को गौरवान्वित किया है। उपलब्धि कभी छोटी या बड़ी नहीं होती, समाज में एक विदुषी, रचनात्मक गुणों से ओतप्रोत ,परिवार की धुरी, एक जागरूक प्रखर बुद्धि गृहणी, उतना ही महत्वपूर्ण स्थान रखती है जितना वह महिला जो किसी सरकारी पद को सुशोभित करती है ।शैक्षणिक योग्यता का सदुपयोग हर स्तर पर होता है। शिक्षा उन पंखों की भांति है जो उड़ान की क्षमता प्रदान करते हैं। ग्रामीण महिला विद्यापीठ का परिसर प्रत्येक बालिका के सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित करता है ताकि वह भविष्य में अपनी उड़ान को सुनिश्चित कर सके।
प्रकृति की गोद में बसे विद्यापीठ प्रांगण में, हर प्रकार के प्रदूषण से दूर वातावरण स्वाभाविक रूप से शिक्षा के अनुकूल है।सांस्कृतिक व रचनात्मक गतिविधियों द्वारा बालिकाएं उनके भीतर छिपे गुणों व प्रतिभाओं के प्रति जागरूक बनती हैं। कार्यों को कैसे एक दूसरे से सहयोग लेकर व देकर उत्कृष्ट ढंग से निष्पादित किया जाता है इसका अभ्यास उन्हें एक साथ, एक जैसे वातावरण में, एक जैसी दिनचर्या का निर्वहन करके प्राप्त होता है। खेलकूद, प्रातः -संध्या वंदन, एक साथ परिवार की तरह बैठकर शुद्ध सात्विक भोजन छात्रावास की विशेषताएं हैं ।साहित्य चर्चाओं, संगोष्ठियों, वाद-विवाद प्रतियोगिताओं के साथ रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बालिकाओं की सतत भागीदारी रहती है।
प्रांगण में होने वाली इन सभी गतिविधियों के साथ-साथ टेक्नोलॉजी के उपयोग का ज्ञान उन्हें करवाने को लेकर हमारी सोच पूर्ण रूप से आधुनिक है। कंप्यूटर की शिक्षा आने वाले समय में प्रत्येक बालिका के लिए अनिवार्य करना हमारी प्राथमिकताओं में से एक है। वर्तमान समय ने एक नया मोड़ लिया है, इसमें हमारा संकल्प भी “आपदा में अवसर” ढूंढने पर ही आधारित है। बालिकाओं की सुरक्षा हमारी सबसे अहम प्राथमिकता है। अभिभावकों से निरंतर संपर्क हम बनाए रखते हैं और साथ ही भारत का भविष्य इन बालिकाओं के शिक्षण, पोषण व संवर्धन में अभिभावकों के मार्गदर्शन एवं सहयोग की निरंतर अपेक्षा रखते हैं।
अभिभावक गणों से मेरा करबद्ध निवेदन है कि वे बालिकाओं के चहुंमुखी विकास के प्रति अपने इस योगदान को सदैव प्रथम स्थान पर रखते हुए, समय-समय पर आयोजित होने वाली शिक्षक- अभिभावक बैठक में अवश्य भाग लें। आपका आगमन हमारा मनोबल और बढ़ाएगा, साथ ही आपके सुझाव हमें व्यवस्थाओं को सुचारू रूप से चलाने में सहायता देंगे ।संस्था प्रांगण में आपका सदैव हार्दिक स्वागत है। आइए साथ मिलकर नवभारत का निर्माण करें। एक ऐसा भारत जिसकी बालिका की सबसे बड़ी ताकत उसका बुद्धि बल हो, उसकी शिक्षा हो। वह मां सरस्वती, मां दुर्गा एवं मां लक्ष्मी का सम्मिलित अवतार हो। वह स्वयं में परिपूर्ण हो। वह स्वयं का सम्मान करना सीखे और हम सबका अभिमान बन सके।
आपके सहयोग व शुभकामनाओं की अपेक्षा में
रचना मीना
निदेशक, ग्रामीण महिला विद्यापीठ मैनपुरा (सवाई माधोपुर)
Rachana Meena
Director
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