Jaskaur-Meena
Founder
Gramin-Mahila-Vidyapeeth-Mainpura
।। यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवताः।।
शिक्षाविद्, जनप्रिय समाज सेवी श्रीमती जसकौर मीणा ने 1993 में स्वयं के प्रयास से महिलाओं को प्रेरित कर जनजाति महिला विकास संस्थान की स्थापना की। उन्होनें ग्रामीण वर्ग की बालिकाओं के लिए शिक्षा का एक बीज बोया जो आज विशाल वट वृक्ष बनकर पूर्णरूपेण फलीभूत है। जहाँ कुल महिला साक्षरता 11 प्रतिशत हुआ करती थी वही अब ग्रामीण क्षेत्र की बालिकाओं ने शिक्षा के क्षेत्र में अल्प समय में अद्वितीय प्रगति की है।
संस्थापिका की कलम से…
आदरणीय बंधु, मनुष्य पुरातन परम्परा प्रिय है, अनुकरणशाील है, किन्तु यदि वह नया पग उठाये तो अपने अन्तर से ही नया सूर्य पैदा कर सकता है, अनुगामी न बनकर अग्रणी बनने की क्षमता रखता है, वह भाव ऋग्वेद के इस ष्लोक से और स्पश्ट हो जाते है।
‘‘अनुप्रत्नाश आयवः पदं नवीयो। अक्रमुःरूचेजनन्त सूर्यम्।।’’
बालिका शिक्षा के विस्तार का लक्ष्य मेरे जीवन का संकल्प है। भारतीय संस्कृति की रक्षार्थ, अज्ञान के विरूद्ध इस संघर्ष में, ज्ञान का कवच धारण करने हेतु विद्यालय संचालन में सर्व समाज का सहयोग अपेक्षित है। अभिनन्दन एवं धन्यवाद संस्थापिका जसकौर मीणा सांसद (दौसा ) पूर्व महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री भारत सरकार